कफन कहानी - KAFAN PREMCHAND PDF DOWNLOAD

 प्रेमचंद' जी ने समाज के निर्धन व गरीब वर्गों की दयनीय स्थितियों को अपने " कफन कहानी " में काफी अच्छी तरह से प्रस्तुत किया है। यैसे निर्धन वर्ग जिन्हें दो वक्त की रोटी जुटा पाने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, अधिक भूख और गरीबी के कारण उनमें अपने रिश्ते-नाते के प्रति संवेदना जैसे खत्म ही हो जाती है। इस पोस्ट में आगे kafan Upanyas  का  Download लिंक दिया गया है जिसपर क्लिक कर आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं।


कफन कहानी


कफन कहानी - Kafan by Premchand 

कफ़न कहानी के पात्र परिचय : इस कहानी में मुख्यत दो पात्रों- घीसू और उसके पुत्र माधव का वर्णन किया गया है। दोनों ही निर्धन श्रमिक-वर्ग से सम्बन्धित हैं, दोनों ही आराम पसंद, आलसी,कामचोर और बदनाम हैं। कोई उन्हें काम पर नहीं बुलाता, कभी विवशता में किसी ने बुला भी लिया तो आधा घण्टा काम करेंगे तो एक घण्टा चिलम पियेंगे, ये एक दिन काम करेंगे हैं तो तीन दिन आराम ।

Munshi Premchand ki Kahaniyon ke Naam 

premchand ki kahaniyon ke naam कुछ इस प्रकार है उन्होंने सेवासदन,गबन, गोदान,निर्मला, रंगभूमि, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं ।

Kafan Premchand Summary - Kafan Premchand Summary in Hindi 

इस कहानी कि मुख्य नायिका बुधिया है। बुधिया के पति और ससुर का ज़िक्र भी इस कहानी में किया गया है। बुधिया का ससुर बहुत आलसी होता है वह तीन दिन काम करता तो तीन दिन आराम करता। बुधिया का पति भी कामचोर है परिणाम स्वरूप कोई आसानी से उसे काम पर नहीं रखता है। जब कभी एक दो दिन खाने के लिये नहीं होता तब बुधिया का (ससुर) घीसू लकड़ी तोड़ लाता और (पति) माधव वह लकड़ी बाजार में बेंच देता।

 कहानी के अनुसार यह गांव काश्तकारों का गाव है जहां काम की कोई कमी नहीं है, लेकिन माधव और घिसू अपनी आलस्यता के कारण काम करना ही नहीं चाहते। घर में मिट्टी के दो-चार बर्तन के सिवा कोई खास सम्पत्ति नहीं है। कामचोरी के परिणाम स्वरूप क़र्ज़ भी बहुत चढ़ गया है। घर में खाने को न होने पर खेत से आलू और मटर चुपचाप उखाड़ लाते और भून कर खाते थे।

बुधिया पिसाई करके और घास छील कर जो कमाती उससे एक सेर आटे का इन्तज़ाम कर लेती थी। परिणाम स्वरूप बुधिया के आने के बाद घीसू और माधव और अधिक आलसी और कामचोर हो गए हैं। थोड़ा बहुत जो काम कर लिया करते थे अब उसे भी करना बंद कर दिया है।

बुधिया गर्भवती है जिस कारण वह सुबह से प्रसव पीड़ा से तड़प रही है लेकिन माधव ने ना ही खुद उसकी कोई सहायता की, ना ही किसी अन्य को सहायता के लिए बुलाया। बुधिया दर्द से चीख रही थी और पिता-पुत्र आलू भूज कर खा रहें हैं। माधव तो यह चाहता है कि यदि इसे मरना ही है तो जल्दी मर जाए। 

बहु की जान बचाने के उपाय करने के स्थान पर घीसू को बीस साल पुरानी दावत याद आ रही होती है जिसमें उसने स्वादिष्ट पकवान खाए थे। बुधिया प्रसव वेदना से पुरी रात कराह रही थी लेकिन पिता-पुत्र दोनों में से किसी को भी उस पर दया नहीं आई।

सुबह उठकर जब माधव ने कोठरी में जाकर देखा तो उसकी पत्नी बुधिया की मृत्यु हो चुकी थी, उसी के साथ उसके बच्चे ने भी पेट में ही अपना दम तोड दिया था। माधव ने जब यह सूचना अपने पिता घीसू को दी, तो दोनो रोने का ढोंग करने लगे। घर में एक ढेला नहीं था परिणाम स्वरूप अब वे क़फन और लकड़ी की चिंता करने लगे। 

घीसू और माधव दोनों रोते-रोते जमीदार के यहाँ पहुँच गए। ज़मीदार दोनों को ही पसंद नहीं करते थे। ज़मीदार के पूछने पर कि क्या हुआ? घीसू ने रोने का नाटक करते हुए झूठ कहा कि – माधव की घर वाली कल रात गुज़र गई। हमसे जो कुछ हो सका हमने इलाज करवाया उसकी सेवा करते रहें लेकिन फिर भी वह हमें दगा दे गई। घीसू के झूठ के अनुसार जो पैसा था सब दवाई में खर्च हो गया। अब अंतिम संस्कार करने के लिए वह ज़मीदार से पैसा मांग रहा है।

जंमीदार थोड़ा रहम दिल था परिणाम स्वरूप उसने दो रूपये दे दिए, लेकिन घीसू और माधव की हरकतें ऐसी थी कि उनसे सहानुभूति का एक लब्ज़ भी नहीं कहा। ज़मीदार ने जब दो रूपये दे दिए तो गाँव के अन्य लोगों ने भी कुछ न कुछ पैसे या अनाज घीसू को दिया। घीसू के पास पाच रूयए इकट्ठे हो गए थे। लकड़ियाँ तो गाँव वालों ने पहले ही इकट्ठी कर दी थी अब क़फन लेने की आवश्यकता थी। जिसे लेने दोनों पिता-पुत्र बाजार पहुँचे लेकिन क़फन लेने के स्थान पर वह शराब की दुकान में जा पहुँचे मनचाही शराब पी, भोजन किया। भोजन करने के बाद वहीं नाचते गाते नशे की हालत में गिर पड़े। इस तरह कहानी समाप्त हो जाती है। 

कफन कहानी Pdf Download 




FAQ 

1. kafan kahani ke lekhak kaun hai ( कफन कहानी के लेखक कौन है ? )
Ans . कफन कहानी के लेखक मुंशी प्रेमचंद जी है ।

2 . कफन कहानी की रचना कब हुई थी ?  (कफन कहानी का प्रकाशन वर्ष )
Ans . कफन कहानी की रचना मुंशी प्रेमचंद ने सन् 1936 में किया था।

3 . कफन कहानी से क्या सीख मिलती है?
Ans . कफन कहानी से हमें कामचोरी व आलस नहीं करने की सीख मिलती है 

इस कहानी के ज़रिए मुंशी प्रेमचंद घीसू व उसके पुत्र माधव की आलस्यता और कामचोरी को दिखाते हैं कि कैसे उन्होंने अपने लालच व आलस्य के चलते अपनी भूख मिटाने के लिए बुधिया का इलाज तक नहीं कराया और प्रसव वेदना से कराह कर वह मर जाती हैं। 

4 . कफन कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans . कफन कहानी मुंशी प्रेमचन्द्र जी की एक प्रसिद्ध कहानी है। कफन कहानी का उद्देश्य यह दिखाना हैं कि हमारे समाज में क्रूरता और कपट की वास्तविकता का प्रकटीकरण करने हैं।

5 . कफन कहानी के स्त्री पात्र का नाम क्या है? 
Ans . इस कहानी कि नायिका व स्त्री पात्र बुधिया है । 

6 . प्रेमचंद की पहली कहानी कौन सी है?
Ans . प्रेमचंद की पहली कहानी सेवासदन है जिसे उन्होंने सन् 1918 ई. में लिखा था । 

Conclusion:
इस पोस्ट में हमने आपको मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित कफन कहानी के बारे में विस्तार से बताया है आसा है आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा इस पोस्ट को अन्त तक पढ़ने के लिए धन्यवाद !!

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